शिक्षा के अन्तर्गत वेद, वेदांग, वेदान्त, दर्शन, योग आदि वैदिक शिक्षा के उत्कृष्ट विद्वान् तैयार करना साथ में अंग्रेजी, गणित, कम्प्यूटर, विज्ञान, समाजिक विज्ञान इत्यादि आधुनिक शिक्षा भी प्रदान करना है ।
सेवा के अन्तर्गत गरीब, असहाय, निर्धन बच्चों को निःशुल्क पालन-पोषण व शिक्षा देना। गरीब, असहाय लोगों को निःशुल्क रोगोपचार व औषधि प्रदान करना है।
साधना के अन्तर्गत योग, प्राणायाम, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा एवं आध्यात्मिक शिक्षा एवं नियमित अभ्यास के माध्यम से समाजसेवा।
“विद्वद्वरेण्य स्वामी श्री गोविन्दाचार्य जी” उनका सम्पूर्ण जीवन संस्कृत और संस्कृति को समर्पित रहा।आपके जीवन का उद्देश्य था- शिक्षा, सेवा तथा साधना।। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए आपने श्रीनिवास सेवार्थ न्यास और श्रीनिवास संस्कृत विद्यापीठम् की स्थापना करके वेद, वेदांग, वेदान्त, दर्शन, विशिष्टाद्वैतसिद्धान्त सहित अन्य प्राच्यविद्याओं के 1000 से अधिक प्रकांड विद्वानों को तैयार करने का लक्ष्य लेकर दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर आदि 10 स्थानों में गुरुकुल एवं शैक्षणिक संस्थानों का संचालन किया । वर्तमान में इन संस्थाओं में 400 से अधिक छात्रों को निःशुल्क अध्ययन, आवास, भोजन और उपचार प्रदान किए जा रहे हैं।
स्वामी श्री गोविन्दाचार्य जी संस्कृत जगत में व्याकरण, दर्शन, वेदान्त तथा धर्मशास्त्र के ख्याति प्राप्त मूर्धन्य विद्वान रहे l अपने 36 वर्षों के अध्यापनकाल में अनेक छात्रों का भविष्य निर्माण करते हुए अनेक आश्रमों तथा गुरुकुलों का संचालन एवं सामाजिक कार्यों के अलावा अपना अनमोल समय ग्रन्थ निर्माण, कला, संगीत, प्रवचन एवं व्याख्यान पर भी दिया।
आपने 40 से अधिक ग्रंथों की रचना एवं सम्पादन का कार्य किया साथ ही योगालोक, वंशी , लक्ष्यचिंतन , संस्कृत वाणी आदि पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन एवं प्रकाशन कर पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया l
स्वामी डॉ जनार्दनाचार्य जी वेद, वेदांग, वेदान्त, दर्शन आदि प्राच्यविद्याओं के मूर्धन्य विद्वान श्री गोविन्दाचार्य जी के मुख्य शिष्य हैं l आप वर्तमान में पूज्य स्वामी जी के सत्संकल्पों एवं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु तन, मन एवं धन संस्कृत और संस्कृति को समर्पित करके अपनी जीवन यात्रा सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्थाओं को संस्कारित करते हुए राष्ट्र एवं धर्म के लिए समर्पित व्यक्तित्व हैं l आप परम पूज्य गुरुजी के गद्दी पर विराजमान होते हुए संस्था एवं गुरुकुल का चतुर्मुखी विकास कर रहे हैं इसके साथ आप ग्रंथ लेखन, प्रवचन, व्याख्यान एवं संस्कृत पत्रकारिता की क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं l
आपने शिक्षा की श्रेष्ठ उपाधि विद्यावारिधि (Ph.D) की उपाधि ग्रहण की l आप व्याकरण, दर्शन, धर्मशास्त्र आदि विषयों पर विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्याख्यान प्रदान करते हैं l
श्रीनिवास संस्कृत विद्यापीठम्, सोसाइटी एक्ट 1861 के तहत पंजीकृत शैक्षणिक संस्थान है। यह भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का उपक्रम महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन से अनुदानित एवं सम्बद्ध संस्था है l
वेङ्कटेशसमो देवो न भूतो न भविष्यति
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